पहले जरूरतों का बाजार था
                                         आज बाजार की जरूरतें हैं

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय में इस बाजार की हकीकत को समझा और इस अंतर को समझ पाया कि आखिर उपभोगवाद की सच्चाई क्या है👍🏻

इस पूरे लेख को एक कहानी का रूप दिया है.

थोड़ा हल्का सा सर में दर्द था तो पास के ही मेडिकल स्टोर पर चला गया और  एक पत्ता दवाई ली, दुकान के मालिक त्रिवेदी जी थे जो उस समय दुकान पर नहीं थे उनके कर्मचारी ने पैसे काटे, हमने पूछा आज त्रिवेदी जी कहाँ हैं वो कर्मचारी बोला कि साहब के सर में दर्द था तो सामने के घर में काढ़ा पीने चले गए हैं......

और हम उस दवाई के पत्ते को लिए हुए मायूसी से देख रहे हैं.......🤔🤔

कई दिनों से चाची जी का ब्लड प्रेशर और शुगर बढ़ा हुआ था और कल रात सही से सो भी नहीं पाई थी तो तड़के सुबह उन्हें लेकर उनके पुराने डॉक्टर के पास गया, डॉक्टर साहब घर के बाहर बने पार्क में लगभग 45 मिनट से योग और व्यायाम कर रहे थे मुझे करीब 1 घण्टे इंतजार करना पड़ा..... क्लीनिक के दरवाजे खोल दिये गए और कुछ देर बाद अचानक डॉक्टर साहब हाथ में एक बोतल जिसमें नींबू पानी भरा हुआ था उसे लेकर आये और चाची की तबियत देखी और एक पर्चे में 5 से 6 मँहगी मँहगी दवाइयां लिख दी.
बड़ी झिझकता से हमने पूछा डॉक्टर साहब आप योग व्यायाम कब से कर रहे हैं उन्होंने कहा करीब करीब 20 साल से और आज उसी की वजह से मैं बिल्कुल स्वस्थ हूँ और ब्लड प्रेशर जैसी कई बीमारियों से बचा हुआ हूँ......

और मैं अपने हाथ में लिए हुए उस पर्चे को देख रहा था जिसमें ब्लड प्रेशर और शुगर कम करने की 5 से 6 दवाइयां लिखी हुई थी.......🤔🤔

कुछ दिन बाद अचानक हमारे घर की ही एक महिला हेयर ट्रीटमेंट के लिए ब्यूटी पार्लर गई उसे 3000 रुपए का पूरा कोर्स करना था तब कहीं जाकर बाल हल्के और मुलायम होंगे.....
बाहर निकलने के बाद मैंने उस ब्यूटी पार्लर की महिला से पूछा आपके इतने अच्छे बाल कैसे हैं वो बोली मैं कुछ नहीं बस नारियल तेल में कपूर और मेथी मिला लेती हूँ तो बाल अपने आप सॉफ्ट हो जाते हैं और जल्दी बढ़ने लगते हैं......

अब मैं अपने घर की उस महिला की शक्ल देख रहा था जो 3000 रुपए अंदर देकर आई थी.........🤔🤔

हमारे यहाँ एक यादव जी हैं उनकी  बड़ी डेयरी है करीब करीब 100 गायें होंगी जो सब के सब अमेरिकन या यूँ कहें जर्सी गाय और बहुत दूध देने वाली मतलब एक एक बार मे 10 से 15 लीटर दूध......
इसी बीच अचानक मेरी नजर पड़ी 2 देशी गायों पर जो इन सबसे अलग थलग घास चर रही थीं हमने पूछा वहीं एक काम करने वाले से कि भाई ये अलग क्यों इन सबसे.......
वो बोले कि इन देशी गायों के दूध और घी का इस्तेमाल साहब अपने परिवार के लिए करते हैं तो इनका दूध बेचा नहीं जाता.

मैं अपने एक हाथ में दूध की बाल्टी पकड़े चुपचाप खड़ा एक दम सन्न बन्न रह गया कि आखिर क्यों इतना खुशी से ब्रांडेड दूध को बेस्ट मानकर खरीदते  हैं......🤔🤔

एक दिन अपने कुछ करीबियों के साथ  शहर के एक बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाने गया और हाथ में 2460 का बिल देते हुए बेटर ने बोला सर कैसा लगा खाना?
और आगे मेरे बोलने से पहले ही बोलने लगा कि सर हम खाने में शुद्ध मसाले, तेल और आटेका इस्तेमाल करते हैं हमारी कोशिश रहती है कि आपको बिल्कुल घर जैसा खाना लगे......
तब तक पीछे से एक आवाज आई कि साहब का खाना उनकी टेबल पर रख दो मैं देखकर भौंचक्का रह गया आखिर वही स्टील के तीन डब्बे जो घर से आये हुए थे.......हमने पूछा भइया साहब यहाँ खाना नहीं खाते क्या?
वो बोला कि नहीं साहब सिर्फ अपने घर का ही खाना खाते हैं जहाँ भी जाते हैं उनकी कोशिश रहती है अपना खाना लेकर ही जाए..... और

मैं अपने हाथ मे 2460 का बिल देख रहा था......


आखिर हम जिसे सही जीवन शैली समझते हैं वो हमें जकड़ने और गुमराह करने का मात्र एक जरिया है. हम सिर्फ और सिर्फ कंपनियों की कठपुतली हैं जिसमें अच्छी मार्केटिंग करने वाले लोग पैसा कमा ले जाते हैं और हमारे आप जैसे लोग आज भी दिल्ली ,मुंबई चेन्नई, नोएडा से अपने घर की ओर पैदल निकले थे और आगे भी निकलते रहेंगे.

अक्सर हमें जिन चीनों को बेचा जाता है बेचने वाले उन्हें खुद इस्तेमाल नहीं करते👍🏻

ये जिंदगी के कुछ अनुभव हैं जो हमारे आजतक नहीं समझ आए आपके समझ आ जायें तो हम जैसों को भी कभी समझा देना.........


जरूरी बात:-

पहले जरूरतों का बाजार था
आज बाजार की जरूरतें हैं

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