कीसीने पूछा ,बँसूरी तूँ काहे मधुर गाये ?
तब बँसूरी बोली मीठे सूर मेँ मधुर मुसकाये,
जब बिना कछु बोलत तपन-छेदन दुःख ऊठायो,
तब राधेश्याम ने अधर लगाय के राधे-राधे गायो।
तब बँसूरी बोली मीठे सूर मेँ मधुर मुसकाये,
जब बिना कछु बोलत तपन-छेदन दुःख ऊठायो,
तब राधेश्याम ने अधर लगाय के राधे-राधे गायो।
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